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आसमाँ है ज़मीन है लेकिन, हर फ़कीरों का घर नहीं होता...!

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  घर कोई भूगोल नहीं होता। वह एक आदत है जहाँ मन को प्रश्न पूछने की आवश्यकता नहीं पड़ती। और जब यह आदत छिन जाती है, तब आदमी वहीं रहता है जहाँ वह है, पर उसका होना किसी और जगह अटक जाता है। हिंदी सिनेमा के कुछ पात्र ऐसे ही अटके हुए लोग हैं। वे सड़क पर नहीं रहते, फिर भी उनका पता नहीं मिलता। वे परिवारों के बीच दिखाई देते हैं, पर गिने नहीं जाते। उनका बेघरपन किसी दुर्घटना से नहीं, एक लम्बी उपेक्षा से जन्म लेता है इतनी लम्बी कि वह स्वभाव बन जाती है। जनार्दन जाखड़ (रॉकस्टार) को जब घर से बाहर किया जाता है, तब वह बाहर नहीं जाता वह पहले ही निकल चुका होता है। बाहर फेंका जाना केवल एक औपचारिक पुष्टि है। असल में वह उस दिन बेघर हुआ था जिस दिन घर ने उसके भीतर उठती बेचैनी को अनावश्यक समझ लिया। संगीत उसके लिए क ला नहीं, एक ऐसा अस्थायी घर जहाँ दीवारें स्वर की होती हैं और छत टूटने का डर नहीं होता। ईशान अवस्थी (तारे ज़मीन पर) के पास सब कुछ है माँ, पिता, भाई, कमरा, किताबें। फिर भी वह लगातार किसी दरवाज़े के बाहर खड़ा है। उसका अपराध केवल इतना है कि वह उस भाषा में नहीं सोचता जिसमें घर सोचता है। जब घर समझने की क...

एक ऐसा खिलाड़ी, जो मैदान पर अपनी ही नसों से टकराया

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  कभी-कभी खेल में कोई ऐसा उतरता है, जो सिर्फ गेंद और बल्ले के लिए नहीं आता - वह आता है अपने वजूद को साबित करने। बाहर से चमकता हुआ, लेकिन भीतर एक जंग लड़ता हुआ। विराट कोहली - इस नाम में क्रिकेट नहीं, एक तहज़ीब है। एक ऐसा व्यक्तित्व, जिसने समय की धूल में खड़े होकर अपनी छाया खुद बनाई। कोहली को देखना, जैसे मैदान पर कोई रोशनी दौड़ रही हो। वो रन नहीं बनाते थे - वो रन छीनते थे, जैसे हर डॉट बॉल उनका अपमान हो, और हर चौका एक जवाब। वो बल्लेबाज़ नहीं थे - वो प्रतिरोध की शैली थे। उनके स्ट्रोक्स में टेक्स्टबुक की परछाईं नहीं थी, उनमें वो धार थी, जो सिर्फ कच्ची सड़कों पर फिसलने वाले इरादों से बनती है। जहाँ बाकी बल्लेबाज़ स्कोर बोर्ड देखते थे, कोहली बॉलर की आँखें देखते थे। जहाँ औरों को रन चाहिए होते थे, कोहली को खुद को साबित करना होता था - बार-बार, हर बार। कप्तानी को उन्होंने कुर्सी नहीं, कुर्बानी समझा। जब धोनी ने उन्हें टेस्ट की बागडोर दी, तो कोहली ने परंपरा नहीं निभाई, परंपरा तोड़ी। हर खिलाड़ी को मौका मिला अपनी भाषा में खेलने का, लेकिन कोहली ने पूरी टीम को एक ही लहजा सिखाया - हार मानना गुनाह ...